Tuesday 3 May 2011

मिशन एकता

प्रिय साथियों,
राजा बापू  ने फिर प्रवचन देने आरंभ कर दिये हैं। लेकिन इस बार तय किया है कि भक्तों के बीच में बैठकर नहीं अपने 10 बाई 10 के कमरे में बैठकर देंगे क्योंकि भक्तों ने उनकी बातों पर कुछ ज़्यादा ही सवाल उठाने प्रारंभ कर दिये हैं। इसीलिये कुछ दिन वो नाराज़ रहे फिर गुस्सा भूल गये क्योंकि वो कोई आम इंसान नहीं हैं बल्कि पूज्य राजा बापू हैं। पूज्य राजा बापू आजकल सम्मानों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं क्योंकि उनको लगता है कि सम्मान इंसान का दिमाग खराब करते हैं। और सम्मान पाने का हक सिर्फ राजा बापू जैसे संतों को ही है किसी और को नहीं। जब राजा बापू को कोई सम्मान नही देता है तो भला दूसरे को सम्मान क्यों मिले। लेकिन हकीकत ये है कि राजा बापू चाहें तो हर हफ्ते अपना सम्मान करवा सकते हैं लेकिन वो तो महान हैं इन छोटे कामों से दूर रहते हैं। आज इतना ही। कल बताएँगे राजा बापू की अपने बचपन के दोस्त के साथ बातचीत का आंखों देखा हाल।
(शीर्षक: अबे, तू तो बचपन से ही संत है)

निवेदक
पट्ठा प्रिंस